संदेश

नमस्कार! ( Greetings! )

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         नमस्ते या नमस्कार करने की मुद्रा। नमस्ते या नमस्कार , भारतीयों के बीच अभिनन्दन करने का प्रयुक्त शब्द है जिसका अर्थ है तुम्हारे लिए प्रणाम।  Namaste or Namaskar Gesture. Namaste or Namaskar is common among Indians to greet (to welcome as well as to bid farewell) each other (verbally with the gesture or only verbally) and it means I salute the divine in you.  

वचन Numbers

वचन परिभाषा-शब्द के जिस रूप से उसके एक अथवा अनेक होने का बोध हो उसे वचन कहते हैं। हिन्दी में वचन दो होते हैं- 1. एकवचन 2. बहुवचन एकवचन शब्द के जिस रूप से एक ही वस्तु का बोध हो, उसे एकवचन कहते हैं। जैसे-लड़का, गाय, सिपाही, बच्चा, कपड़ा, माता, माला, पुस्तक, स्त्री, टोपी बंदर, मोर आदि। बहुवचन शब्द के जिस रूप से अनेकता का बोध हो उसे बहुवचन कहते हैं। जैसे-लड़के, गायें, कपड़े, टोपियाँ, मालाएँ, माताएँ, पुस्तकें, वधुएँ, गुरुजन, रोटियाँ, स्त्रियाँ, लताएँ, बेटे आदि। एकवचन के स्थान पर बहुवचन का प्रयोग (क) आदर के लिए भी बहुवचन का प्रयोग होता है। जैसे- (1) भीष्म पितामह तो ब्रह्मचारी थे। (2) गुरुजी आज नहीं आये। (3) शिवाजी सच्चे वीर थे। (ख) बड़प्पन दर्शाने के लिए कुछ लोग वह के स्थान पर वे और मैं के स्थान हम का प्रयोग करते हैं जैसे- (1) मालिक ने कर्मचारी से कहा, हम मीटिंग में जा रहे हैं। (2) आज गुरुजी आए तो वे प्रसन्न दिखाई दे रहे थे। (ग) केश, रोम, अश्रु, प्राण, दर्शन, लोग, दर्शक, समाचार, दाम, होश, भाग्य आदि ऐसे शब्द हैं जिनका प्रयोग बहुधा बहुवचन में ही होता है। जैसे- (1) तुम्हारे केश बड

विशेषण Adjective

विशेषण विशेषण की परिभाषा- संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों की विशेषता (गुण, दोष, संख्या, परिमाण आदि) बताने वाले शब्द ‘विशेषण’ कहलाते हैं। जैसे-बड़ा, काला, लंबा, दयालु, भारी, सुन्दर, कायर, टेढ़ा-मेढ़ा, एक, दो आदि। विशेष्य- जिस संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्द की विशेषता बताई जाए वह विशेष्य कहलाता है। यथा- गीता सुन्दर है। इसमें ‘सुन्दर’ विशेषण है और ‘गीता’ विशेष्य है। विशेषण शब्द विशेष्य से पूर्व भी आते हैं और उसके बाद भी। पूर्व में, जैसे- (1) थोड़ा-सा जल लाओ। (2) एक मीटर कपड़ा ले आना। बाद में, जैसे- (1) यह रास्ता लंबा है। (2) खीरा कड़वा है। विशेषण के भेद- विशेषण के चार भेद हैं- 1. गुणवाचक। 2. परिमाणवाचक। 3. संख्यावाचक। 4. संकेतवाचक अथवा सार्वनामिक। 1. गुणवाचक विशेषण जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों के गुण-दोष का बोध हो वे गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे- (1) भाव- अच्छा, बुरा, कायर, वीर, डरपोक आदि। (2) रंग- लाल, हरा, पीला, सफेद, काला, चमकीला, फीका आदि। (3) दशा- पतला, मोटा, सूखा, गाढ़ा, पिघला, भारी, गीला, गरीब, अमीर, रोगी, स्वस्थ, पालतू आदि। (4) आकार- गोल, सुडौल, नुकीला, समान

कारक

कारक परिभाषा-संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसका सीधा संबंध क्रिया के साथ ज्ञात हो वह कारक कहलाता है। जैसे-गीता ने दूध पीया। इस वाक्य में ‘गीता’ पीना क्रिया का कर्ता है और दूध उसका कर्म। अतः ‘गीता’ कर्ता कारक है और ‘दूध’ कर्म कारक। कारक विभक्ति- संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों के बाद ‘ने, को, से, के लिए’, आदि जो चिह्न लगते हैं वे चिह्न कारक विभक्ति कहलाते हैं। हिन्दी में आठ कारक होते हैं। उन्हें विभक्ति चिह्नों सहित नीचे देखा जा सकता है- कारक विभक्ति चिह्न (परसर्ग) 1. कर्ता ने 2. कर्म को 3. करण से, के साथ, के द्वारा 4. संप्रदान के लिए, को 5. अपादान से (पृथक) 6. संबंध का, के, की 7. अधिकरण में, पर 8. संबोधन हे ! हरे ! कारक चिह्न स्मरण करने के लिए इस पद की रचना की गई हैं- कर्ता ने अरु कर्म को, करण रीति से जान। संप्रदान को, के लिए, अपादान से मान।। का, के, की, संबंध हैं, अधिकरणादिक में मान। रे ! हे ! हो ! संबोधन, मित्र धरहु यह ध्यान।। विशेष-कर्ता से अधिकरण तक विभक्ति चिह्न (परसर्ग) शब्दों के अंत में लगाए जाते हैं, किन्तु संबोधन कारक के चिह्न-हे, रे, आदि प्रायः शब्द से पूर्व

विराम-चिह्न

विराम-चिह्न विराम-चिह्न- ‘विराम’ शब्द का अर्थ है ‘रुकना’। जब हम अपने भावों को भाषा के द्वारा व्यक्त करते हैं तब एक भाव की अभिव्यक्ति के बाद कुछ देर रुकते हैं, यह रुकना ही विराम कहलाता है। इस विराम को प्रकट करने हेतु जिन कुछ चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, विराम-चिह्न कहलाते हैं। वे इस प्रकार हैं- 1. अल्प विराम (,)- पढ़ते अथवा बोलते समय बहुत थोड़ा रुकने के लिए अल्प विराम-चिह्न का प्रयोग किया जाता है। जैसे-सीता, गीता और लक्ष्मी। यह सुंदर स्थल, जो आप देख रहे हैं, बापू की समाधि है। हानि-लाभ, जीवन-मरण, यश-अपयश विधि हाथ। 2. अर्ध विराम (;)- जहाँ अल्प विराम की अपेक्षा कुछ ज्यादा देर तक रुकना हो वहाँ इस अर्ध-विराम चिह्न का प्रयोग किया जाता है। जैसे-सूर्योदय हो गया; अंधकार न जाने कहाँ लुप्त हो गया। 3. पूर्ण विराम (।)- जहाँ वाक्य पूर्ण होता है वहाँ पूर्ण विराम-चिह्न का प्रयोग किया जाता है। जैसे-मोहन पुस्तक पढ़ रहा है। वह फूल तोड़ता है। 4. विस्मयादिबोधक चिह्न (!)- विस्मय, हर्ष, शोक, घृणा आदि भावों को दर्शाने वाले शब्द के बाद अथवा कभी-कभी ऐसे वाक्यांश या वाक्य के अंत में भी विस्मयादिबोधक चिह्न

विलोम

शब्द - विलोम दिन - रात अच्छा - बुरा राजा - रंक या रानी या प्रजा बालक - वृद्ध / बालिका स्त्री - पुरुष कृतज्ञ - कृतघ्न ] कुछ प्रमुख शब्दों के विलोम शब्द रात - दिन अमृत - विष अथ - इति अन्धकार - प्रकाश अल्पायु - दीर्घायु इच्छा - अनिच्छ। उत्कर्ष - अपकर्ष अनुराग - विराग आदि - अंत आगामी - गत उत्थान - पतन आग्रह - दुराग्रह एकता - अनेकता अनुज - अग्रज आकर्षण - विकर्षण उद्यमी - आलसी अधिक - न्यून आदान - प्रदान उर्वर - ऊसर एक - अनेक आलस्य - स्फूर्ति अर्थ - अनर्थ उधार - नगद अपेक्षा - उपेक्षा उपस्थित - अनुपस्थित अतिवृष्टि - अनावृष्टि उत्कृष्ट - निकृष्ट उत्तम - अधम आदर्श - यथार्थ आय - व्यय स्वाधीन - पराधीन आहार - निराहार दाता - याचक खेद - प्रसन्नता गुप्त - प्रकट प्रत्यक्ष - परोक्ष घृणा - प्रेम सजीव - निर्जीव सुगंध - दुर्गन्ध मौखिक - लिखित संक्षेप - विस्तार घात - प्रतिघात निंदा - स्तुति मितव्यय - अपव्यय सरस - नीरस सौभाग्य - दुर्भाग्य मोक्ष - बंधन कृतज्ञ - कृतघ्न क्रय - विक्रय दुर्लभ - सुलभ निरक्षर - साक्षर नूतन - पुरातन बंधन - मुक्त