पोते ने कहा दादा से ‘पापा ने उस कार्यक्रम में साथ ले जाने से मना कर दिया जिसमें हर वर्ष हिंदी दिवस पर भाषण करने जाते। आप ही समझाओ मैं तो पढ़ रहा हूं अंग्रेजी माध्यम स्कूल में हिंदी के बारे में सुनना है मुझे भी मैं भी पढ़ूंगा बहुत से माता पिता अपने बच्चों को पढ़ाते।’ ………………………… सुनकर दादाजी हंसे और बोले ‘बेटा, जो माता पिता गरीब हैं वही अपने बच्चों को हिंदी पढ़ाते। जिनके पास पैसा है बहुत वह तो अंग्रेजी सभ्यता बच्चों को सिखाते, अच्छा भविष्य तो होता अपने कर्म के हाथ पर वह अपने को ऐसे सभ्य दिखाते इस देश में अच्छे भविष्य और विकास का नारा इस तरह लगता रहा है कि लोग एक दूसरे को उसमें बहा रहे हैं। कुछ लोग कहते हैं कि हिंदी गरीबों की भाषा सच ही लगता है क्योंकि असली संस्कृति तो गरीब ही बचा रहे हैं। उनमें फिर भी है माता पिता का सम्मान वरना तो अपने बच्चों को अंग्रेजी पढ़ा चुके पालक अब उनकी उपेक्षाओं का गाथा गाते। कुछ लोग वृद्धाश्रम में बस जाते। संस्कृति और संस्कार तो बचाना चाहते हैं ताकि रीतियों के नाम पर स्वयं को लाभ मिलता रहे भाषा ही इसका...