तुलसीदास के जीवन की ऐतिहासिक घटनाएं तुलसीदास के जीवन की कुछ घटनाएं एवं तिथियां भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं हैं। कवि के जीवन-वृत्त और महिमामय व्यक्तित्व पर उनसे प्रकाश पड़ता है। यज्ञोपवीत मूल गोसाईं चरित के अनुसार तुलसीदास का यज्ञोपवीत माघ शुक्ला पंचमी सं० १५६१ में हुआ - पन्द्रह सै इकसठ माघसुदी। तिथि पंचमि औ भृगुवार उदी । सरजू तट विप्रन जग्य किए। द्विज बालक कहं उपबीत किए ।। कवि के माता - पिता की मृत्यु कवि के बाल्यकाल में ही हो गई थी। विवाह जनश्रुतियों एवं रामायणियों के विश्वास के अनुसार तुलसीदास विरक्त होने के पूर्व भी कथा-वाचन करते थे। युवक कथावाचक की विलक्षण प्रतिभा और दिव्य भगवद्भक्ति से प्रभावित होकर रत्नावली के पिता पं० दीन बंधु पाठक ने एक दिन, कथा के अन्त में, श्रोताओं के विदा हो जाने पर, अपनी बारह वर्षीया कन्या उसके चरणों में सौंप दी। मूल गोसाईं चरित के अनुसार रत्नावली के साथ युवक तुलसी का यह वैवाहिक सूत्र सं० १५८३ की ज्येष्ठ शुक्ला त्रयोदशी, दिन गुरुवार को जुड़ा था - पंद्रह सै पार तिरासी विषै । सुभ जेठ सुदी गुरु तेरसि पै । अधिराति लगै जु फिरै भंवरी । दुलहा दुलही की परी पं...