वाक्य-प्रकरण वाक्य- एक विचार को पूर्णता से प्रकट करने वाला शब्द-समूह वाक्य कहलाता है। जैसे- 1. श्याम दूध पी रहा है। 2. मैं भागते-भागते थक गया। 3. यह कितना सुंदर उपवन है। 4. ओह ! आज तो गरमी के कारण प्राण निकले जा रहे हैं। 5. वह मेहनत करता तो पास हो जाता। ये सभी मुख से निकलने वाली सार्थक ध्वनियों के समूह हैं। अतः ये वाक्य हैं। वाक्य भाषा का चरम अवयव है। वाक्य-खंड वाक्य के प्रमुख दो खंड हैं- 1. उद्देश्य। 2. विधेय। 1. उद्देश्य- जिसके विषय में कुछ कहा जाता है उसे सूचकि करने वाले शब्द को उद्देश्य कहते हैं। जैसे- 1. अर्जुन ने जयद्रथ को मारा। 2. कुत्ता भौंक रहा है। 3. तोता डाल पर बैठा है। इनमें अर्जुन ने, कुत्ता, तोता उद्देश्य हैं; इनके विषय में कुछ कहा गया है। अथवा यों कह सकते हैं कि वाक्य में जो कर्ता हो उसे उद्देश्य कह सकते हैं क्योंकि किसी क्रिया को करने के कारण वही मुख्य होता है। 2. विधेय- उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाता है, अथवा उद्देश्य (कर्ता) जो कुछ कार्य करता है वह सब विधेय कहलाता है। जैसे- 1. अर्जुन ने जयद्रथ को मारा। 2. कुत्ता भौंक रहा है। 3. तोता डाल पर बैठा है...