महात्मा गाँधी वे ईसाई हैं, इससे क्या हिन्दुस्तानी नहीं रहे ? और परदेशी बन गये ? कितने ही नवयुवक शुरु में निर्दोष होते हुए भी झूठी शरम के कारण बुराई में फँस जाते होगे । उस आस्था का कोई मूल्य नहीं जिसे आचरण में न लाया जा सके। महात्मा, भाग ५ के पृष्ठ १८० अहिंसा एक विज्ञान है। विज्ञान के शब्दकोश में 'असफलता' का कोई स्थान नहीं। महात्मा, भाग ५ के पृष्ठ ८१ सार्थक कला रचनाकार की प्रसन्नता, समाधान और पवित्रता की गवाह होती है। महात्मा, भाग २ के पृष्ठ ५६ एक सच्चे कलाकार के लिए सिर्फ वही चेहरा सुंदर होता है जो बाहरी दिखावे से परे, आत्मा की सुंदरता से चमकता है। महात्मा, भाग २ के पृष्ठ १५९ मनुष्य अक्सर सत्य का सौंदर्य देखने में असफल रहता है, सामान्य व्यक्ति इससे दूर भागता है और इसमें निहित सौंदर्य के प्रति अंधा बना रहता है। महात्मा, भाग ५ के पृष्ठ १८० चरित्र और शैक्षणिक सुविधाएँ ही वह पूँजी है जो मातापिता अपने संतान में समान रूप से स्थानांतरित कर सकते हैं। महात्मा, भाग २ के पृष्ठ ३६७ विश्व के सारे महान धर्म मानवजाति की समानता, भाईचारे और सहिष्णुता का संदेश देते हैं। महात्मा, भाग ३ के पृष्ठ...