नमस्कार! ( Greetings! )

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         नमस्ते या नमस्कार करने की मुद्रा। नमस्ते या नमस्कार , भारतीयों के बीच अभिनन्दन करने का प्रयुक्त शब्द है जिसका अर्थ है तुम्हारे लिए प्रणाम।  Namaste or Namaskar Gesture. Namaste or Namaskar is common among Indians to greet (to welcome as well as to bid farewell) each other (verbally with the gesture or only verbally) and it means I salute the divine in you.  

भारतीय संस्कृति ( Indian culture )

विश्व में अनेक संस्कृतियाँ पनपी और मिट गई। आज उनका कहीं नामोंनिशान तक नहीं है, सिर्फ उनकी स्मृति बाकी है, लेकिन भारतीय संस्कृति में है ऐसा कुछ कि वह कुछ नहीं मिटा। उसे मिटाने के बहुत प्रयास हुए और यह सिलसिला आज भी जारी है, पर कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी। भारतीय संस्कृति में आखिर क्या है, जो उसे हमेशा बचाए रखता है, जिसकी वजह से वह हजारों साल से विदेशी हमलावरों से लोहा लेती रही और इन दिनों इन पर जो हमले हो रहे हैं, उसका मुकाबला कर रही है ? आखिर कैसा है वह भारतीय संस्कृति का वह तंत्र, जिसे हमलावार संस्कृतियाँ छिन्न-भिन्न नहीं कर पातीं ? हर बार उन्हें लगता है कि इस बार वे इसे अवश्य पदाक्रांत कर लेंगी, पर हुआ हमेशा उलटा है, वे खुद ही पदाक्रांत होकर भारतीय संस्कृति में विलीन हो गईं, क्यों और कैसे ?

हजारों साल तक क्यों और कैसे जीवित है भारतीय संस्कृति; क्या हैं इसके मूल तत्व, जो इसे नष्ट होने से हमेशा बचाते और विरोधी संस्कृतियों का मुकाबला करने की शक्ति देते रहे है; किन-किन संस्कृतियों ने कब-कब और किस-किस रूप में भारतीय संस्कृति पर हमले किये और कैसे तथा किस रूप में वे पराजित हुई; भारत में पनपी इस संस्कृति ने कैसे एशिया, यूरोप और अफ्रीका के बड़े भूभाग को अपने प्रभाव में ले लिया! क्यों सिर्फ देह की शक्ति को महत्वपूर्ण मानने वाला स्पार्टा वीरों के लिए भले ही जाना गया, मगर विश्व की संस्कृतियों पर वह कोई प्रभाव नहीं डाल सका ! वहाँ मनुष्य के मन को भारतीय संस्कृति जितना महत्त्व नहीं दिया गया, शायद इसीलिए रोम, मिस्त्र और काबुल आदि की प्राचीन संस्कृतियाँ नष्ट हो गईं।
भारतीय संस्कृति पर फिर हमला हो रहा है और इस बार वह हमला बहुस्तरीय है-वह देह के स्तर पर तो है ही, मन के स्तर पर भी है बहुराष्ट्रीय कंपनियों के द्वारा अनेक टी.वी. चैनलों के जरिए जो हमला किया जा रहा है, वह बेहद चतुराई और निर्लज्जता से भरा है, जिससे लड़ने का जो हमारा तंत्र है, इसके आगे स्वतः नतमस्तक हो गया है। प्लासी का युद्ध हम हारे नहीं थे, हमारे सेनापति विदेशियों से मिल गए और बिना लड़े ही हम गुलाम हो गए थे। यही खतरा आज भी हमारे सामने है। उस बार राज्य दे दिया गया था, लेकिन इस बार राज्य के साथ संस्कृति भी दाँव पर लगी हुई है।
भारतीय संस्कृति वस्तुतः आज गहरे संकट में है और यही संकट आज तक के इतिहास का सबसे बड़ा संकट है। इससे पहले भारतीय संस्कृति इस तरह सार्वदेशिक हमलों का शिकार कभी नहीं हुई। हमलावार आते रहे और भाग जाते रहे या फिर यहीं पर रच-पच जाते रहे, पर इस बार वे यहाँ आये नहीं है। इस बार हमारी संस्कृति पर वे हमारे अपनों से ही हमला करवा रहे हैं और हम अर्जुन की तरह विषाद में घिर गए हैं कि इन्हें कैसे मारें। हमारे सामने तो हमारे अपने ही खड़े हैं ऐसे ही कठिन समय के लिए शायद भारतीय मनीषा ने ‘श्रीमद्भगवत् गीता’ जैसे ग्रंथ की रचना की है, जिसके जरिये अर्जुन को धर्म का पालन और संस्कृति की रक्षा करने के लिए सन्नद्ध किया जा सकता है।


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